Shri Shiva Tandava Stotram Lyrics (With Image)

Shiva Tandava Stotram Lyrics

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क्या आप जानते है कि बहुप्रसिद्ध और लोकप्रिय मंत्रगीत 'शिव तांडव स्तोत्रम' किसके द्वारा रचित की गयी है। 

जी हाँ बिल्कुल सही ! ये शक्तिशाली और शिवप्रिय मंत्र को लंकाधिपति राजा रावण के द्वारा लिखी गयी उसकी सर्वोत्तम एवं विशेष रचना हैं। राक्षस राजा रावण बहोत विद्वान होने के साथ साथ भगवान शिव के बहोत बारे भक्त भी थे। 

तो चलिए , इस रचना को अर्थपूर्ण पढ़ते और जानते है। 

"Shiva Tandava Stotram with Image"




जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले 
गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥
Meaning


जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी 
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
Meaning

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर 
स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि 
क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
Meaning


जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा 
कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे 
मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
Meaning


सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
Meaning


ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा
निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
Meaning


करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र 
प्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
Meaning


नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर
त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः 
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
Meaning


प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा 
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं 
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

Meaning

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी 
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं 
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

Meaning

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध
गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
Meaning


दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र 
जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः 
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

Meaning


कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः 
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

Meaning


निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥१४॥

Meaning


प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥१५॥

Meaning

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा

गतिंविमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥१६॥

Meaning



इति श्रीरावण – कृतम् शिव – ताण्दव स्तोत्रम् सम्पूर्णम्


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